इमारत बनाने वालों को देखते हुए मेरे अंदर हमेशा जलन होती है सोचता हूँ, इतना अच्छा काम मैं भी क्यों न करूँ? लेकिन उनमें और मुझमें एक फरक है, जो बहुत बड़ा भी है वे रैशन के लिए काम करते हैं और मैं पैशन के कारण!
हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ
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